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औरत स्वभाव से बेवफा नहीं होती

औरत स्वभाव से बेवफा नहीं होती.....






वो भी मर्द जितनी ही वफादार होती है खासतौर से "प्यार" और "आपसी रिश्तों" के मामले में, दोष समाज का है परिवार को पालना औरत की जिम्मेदारी है परिवार को बना कर खाना खिलाना औरत की जिम्मेदारी है अगर मर्द कमाता नहीं है तो औरत को मालूम है कि मोहब्बत के नतीजे में जो बच्चा पैदा होगा वह भूखा मर जाएगा इसलिए औरत मोहब्बत में तभी कदम आगे बढ़ाती है जब उसे यह यकीन हो जाए उसका बच्चा भूखा नहीं मरेगा.... क्योंकि समाज आज भी कमाऊ औरत को ऊंचा दर्जा नहीं देता ये बिल्कुल प्राकृतिक है लेकिन कुछ मर्दों को तो सिर्फ औरत के शरीर से मतलब है और हवस पूरी होने के बाद अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता हैं इसलिए वो इसे औरत की बेवफाई कह देता है इसके अलावा जात-पात मजहब यह सारे बंधन भी पुरुषों ने बनाए हैं औरत का पिता और भाई उसी पुरुष समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं इन बंधनों को ना तोड़ने के लिए हर औरत को बचपन से ही सिखाया जाता है इसलिए औरत अगर कभी अपने प्यार के मुकाबले इन चीजों को ज्यादा ध्यान नहीं देती है तो भी उसे बेवफा कहा गया, औरत को चारों तरफ से पुरुषों ने अपने नियमों कायदों , परंपरा और रीति-रिवाज मजहबी बंदिशों में जकड़ दिया और फिर उसे बेवफा भी कहने लगे यह औरत के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है मैं इस बात को नहीं मानती...

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